दिखावे की राजनीति मे देश को बदनाम करनेवाले नेता
कुछ ही दिन पहले शिवसेना नेता संजय राऊत ने सामना के एक लेख मे संसद मे ड्रेस कोड की बात कही थी लेकिन अब लगता है उसी के साथ उन्हे संसद मे सांसदों को बेंच पे खड़ा ना होने की भी माँग करनी होगी.जिस तरह विधायक बिजेँद्र गुप्ता ने संसद मे बेंच पर खड़े होकर प्रदर्शन करने का जो कर्तब किया है वो तो भारत के इतिहास मे जमा हो जायेगा.ऐसा बिलकुल नहीँ है की हम भारतीयों ने संसद मे अजीब तरह के प्रदर्शन ना देखे हो लेकिन इस बार का जलवा कुछ हट्के था.हमारे संसद मे विधायको के लिये कई नियम बनाये गये है लेकिन क्या करे उस कुर्सी पर बैठने के बाद पॉवर कुछ ऐसी आ जाती है की लोकतंत्र के नाम पर सिर्फ किसिका कत्ल करना बाकी रह जाता है.इसके पहले हमने संसद मे ही लोकतंत्र को हिंसक बनते देखा है शब्दों से खेलनेवाले शायरों को हमने कविताओं मे बात करते देखा है,इतना ही नहीँ कुछ बिहारी बाबू को तो हर वक्त मजाक करते भी देखा है .अब ऐसे विविधतावाले लोकतंत्र मे अगर कुछ दिनो बाद आपको गाली वाली भाषा सुनने को मिले तो चौंकानेवाली बात नहीँ है क्योंकि हमारे सांसद उसीको सबसे बड़ा लोकतंत्र मानते है.
लोकतंत्र मे जिस तरह भाषा को कोई रोक टोक नहीँ है ठीक उसी तरह आप उनके पहनावे पर भी सवाल नहीँ कर सकते.भारत इकलौता ऐसा देश होगा जहाँ एक ही संसद मे अलग अलग पहनाव के साथ सांसद एक साथ बैठे होते है अब आप उसे फेशन कहो या संस्कृती उनके लिये तो ये लोकतंत्र है.अब एक वक्त तो ऐसा भी था के संस्कृती के नाम पर कुछ कॉँग्रेस के नेता अर्ध नंगे संसद मे पहुँच गये थे.कुछ लोगो की लूँगी तो इतनी फेमस है की उनके नाम से ज्यादा लोग उनकी लूँगी के ब्रांड को पहचानते है और कुछ के सूट तो देश से ज्यादा विदेश मे बिकते है वो भी उनके नाम से अब ऐसा भी नहीँ की ये संस्कृती दिखाने के लिये हर वक्त पहनते है इनकी पर्सनल पार्टी मे इनके कपड़े देखकर तो आप भी अपने नेता को पहचान नहीँ पाओगे.
अब जब ये इनकी पर्सनल लाइफ मे इस तरह के कपड़े पहनते नहीँ है तो फिर संसद मे दिखावा करने की क्या ज़रूरत है ? संस्कृती तो दिल से होती है ना सिर्फ एक जगह जनाब जब विदेश जाते है तो वहा उन्हे भारत की संस्कृती दिखानि नहीँ होती फिर अपने देश मे अपने लोगो के सामने दिखावा करने की क्या ज़रूरत है.नियम तो काफी होंगे और कितनो का पालन किया जाता है ये तो हम भी नहीँ जानते लेकिन संजय राऊतजी की बात को हम भी मानते है और साथ ही साथ बिजेँद्र गुप्ता जैसे विधायको के कर्तब का भी हम विरोध करते है.संसद हमारी देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है और उसका अपमान होने से रोकना हमारी नैतिक जिम्मेदारी.
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