धर्म की अहमियत उनके लिये इंसानियत से भी ज्यादा है
धर्म, हिंदुस्थानीयो की जिंदगी का एक ऐसा हिस्सा जो उनके लिये इंसानियत से भी ज्यादा मायने रखता है यहां आपको ऐसे लोग जरूर मिलेंगे जिसके पास पहनने के लिये कपड़े नहीँ है खाने के लिये खाना नहीँ है लेकिन मुश्किल से भी आप वो इंसान नहीँ ढूँढ पाओगे जिसके पास अपनी पहचान के लिये धर्म नहीँ है.यहां लोग इस गुमनाम चीज़ को बचाने के लिये एक दूसरे की जान ले लेते है लेकिन वही हाथ कभी गरीबों को एक वक्त का खाना खिलाने के लिये आगे नहीँ बढ़ते.जिन आँखों को मंदिर या मस्जिद के सामने हो रही हरकतों पर पहुँचने मे चंद मिनिट नहीँ लगते उन्ही आँखों को वहा बैठे गरीब भिखारी तक पहुँचने मे बरसों लग जाते है.हजारो की चादर या प्रसाद चढ़ाने मे इन्हे उतना सोचना नहीँ पड़ता जितनी बार उन्हे गरीब की झोली मे 10 रुपये डालते वक्त सोचना पड़ता है.
यहा धर्म के ग्रंथों को पढ़ना सभी चाहते है लेकिन उसे समझने की हिम्मत किसीमे अब तक नहीँ आयी.आपके भगवान को आज उतनी आपकी ज़रूरत नहीँ है जितना उन गरीबों को है अगर हम मानते है की हम सब उस भगवान के बच्चे है तो आप चाहे उसे माता मानो या पिता दोनो अपने बच्चो से उतना ही प्यार करते है और कोई अपने बच्चे को भूखा या नंगा नहीँ देखना चाहेगा.
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