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निर्भया के साथ एक हुए जज़्बात आज किसानो के साथ क्यों नहीं आते ?

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महाराष्ट्र में किसानो के हड़ताल पर आ रही प्रतिक्रियाए जायज़ ज़रूर है क्योंकि लोकतंत्र में हर किसीको अपना पक्ष रखने की आज़ादी जो है लेकिन जब बात उनके आन्दोलन के तरीके की आती है तो कई लोग उनके खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे है शायद वजह ये भी है की इन लोगो को सिर्फ वही गरिब किसान देखने की आदत सी हो गई है जो अपनी खेती में कोलू के बैल की तरह काम करता है और अपने हक की लड़ाई लड़ते लड़ते खुद हारकर आत्महत्या कर लेता है.ये किसान कभी किसी और को तकलीफ़ नहीं पहुंचाता अपनी तकलीफों को खुद ही झेलता है और जब उसे सहने की ताक़त ख़त्म हो जाए तो अपने आप को इस बोझ से मुक्त कर देता है उसने कभी ये नहीं सोचा की ये तकलीफ़ उसे किसी सरकार द्वारा दि जा रही है या किसी राज्य या देश के प्रधान द्वारा,वो तो बस अपनी तकलीफ़ को अपना ही बोझ मानकर चलता है और पूरी जिंदगी उसे झेलने में बिता देता है लेकिन हालाँकि हकीक़त तो ये है की तमाम मेहनत के बाद उसके अनाज को भाव न मिलना उसकी नहीं बल्कि उसके सरकार की नाकामयाबी है लेकिन उसने कभी उन्हें इसके लिए तकलीफ़ नहीं पहुचाई ना ही उन्हें कोसा जो लोग उसकी मेहनत का अनाज खाते तो है लेकिन उसके हक के लिए कभ...

Do you remember Kunan Pushpora ? भारतीय सेना पर उठा एक सवाल......

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Do you remember Kunan Pushpora ? एक किताब के ज़रिये ये सवाल आज हर उस हिदुस्तानी से जवाब मांग रहा है जो हर पल सेना की बहादुरी पर जश्न मनाते है ये उन लोगो से भी सवाल कर रहा है जो हर कश्मीरी को एकसमान न्याय देने की बात करते है .23 फरवरी का वो दिन आखिर कैसे भुला जा सकता है जब भारतीय सेना ने करीब 100 से भी ज्यादा महिलाओ के साथ बलात्कार जैसा कुकर्म किया था. ये सवाल हम अपने आप से भी कर सकते है की कन्हैया कुमार जैसा कोई शख्स जब ये सवाल करता है की जम्मू कश्मीर में सेना की ओर से महिलाओ पर बलात्कार किये जाते है तो हमारा खून क्यों खौलता है,क्या ये सच नहीं है की 23 फरवरी 1991 की रात को जो बलात्कार हुए उसमे भारतीय सेना के राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट के ही जवान शामिल थे? ये सच भले ही सुनने और मानने के लिए कड़वा हो लेकिन आखिर सच्चाई तो यही है और इससे बड़ा सच ये भी है की आज तक वो दरिंदे आज़ाद घूम रहे है.बंदूक की नोक पर न कोई सबूत मिल पाया और न ही कोई गवाह और बाकी केस की तरह ये भी केस भी एक परिणाम के साथ बंद हो गया ‘Untraced’. बात यहाँ सिर्फ कश्मीर की नहीं है बल्कि सवाल उन जवानो पर भी उठता ह...

Nexalism Vs Freedom

When it comes to ones food and shelter he does anything and everything that he could do.This is the situation of nexalists in our country we all know the reason behind nexalism but nobody wants to feed them.Our honourable supreme court has ordered killing in self defence legal because it knows one should have that freedom to save his own life so,what different nexalists do if they kill someone in their defence while collecting food for their families? Why are they called terrorists when they kill people? Isn't it self defence? Yes,It is self defence because that killing is never intentional it is always to save their own lives.Their battle was never started with weapons and it was never ever started to take anybody's life but they had to because it is natures rule that one has to die to keep one alive but humans were the one who changed the rule by generations but again we failed to maintain it .we failed because we became selfish we wanted to feed ourselves before anyone else ...

रखवालो की चौकीदारी

वाह रे रखवालो खूब की आपने जनता की रखवाली पीडिता के बयान के बाद भी उसे Attemp to Rape केस बना डाली भरोसा तो खो दिया है आपने भारत की जनता का पहले से ही क्या आज आपने बची लाज शरम भी बेच डाली हाँ ...

चर्चा मे रहने के लिये स्वामीजी की अनोखी चाल

स्वामीजी का आत्मविश्वास देखकर तो कुछ यूं लगता है की माने वो अपने पूरे कार्यकाल मे चर्चा मे रहने की योजना बनाकर आये है.इसीलिये शायद उन्होने ये कहा की 38 लोगो की सूची बनाकर लाय...

राजनेताओं का व्यापारिक कनेक्शन

          प्रमोद महाजन से लेकर राम नाईक तक तो किरीट सौमैया से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक किस तरह से हर कोई अंबानी ब्रदर्स और उनकी रिलायंस कंपनी को फायदा दिलाने मे जुड़े हुए ...

जीत उड़ता पंजाब के साथ एक आम इंसान की

Freedom of speech and Freedom of expression भारत के संविधान के ऐसे शब्द जिसने हर बार इसे चोट पहुँचाने वाले को जड़ से उखाड़ फेका है.कुछ इसी तरह की चोट आज भारत के सेंसर बोर्ड को लगी है.उड़ता पंजाब के मामूली फिल्म व...